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आड़े आ रहा मातृभाषा का ज्ञान, थोक की भर्ती में प्रदेश के युवा अयोग्य

 

दिलीप दये. बाड़मेर. पहले तो सरकार ने ही अंग्रेजी मीडियम की पढ़ाई सरकारी स्कूलों में नहीं करवाई और प्रदेश से दस हजार युवाओं से अंग्रेजी मीडियम की अनिवार्यता के साथ महात्मागांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में संविदा पर नियुक्ति के आवेदन मांगे। यह शर्त प्रदेशभर के सरकारी स्कूलों के बाद स्नातक, प्री-डीएलएड और प्री-बीएड करने वाला कोई अभ्यर्थी पूरी नहीं कर पा रहा। क्योंकि दो साल पहले तक प्रदेश के किसी सरकारी स्कूल में इंग्लिश मीडियम नहीं था। इन स्कूलों की शुरुआत ही अब हुई है। इसके चलते प्रदेश के अधिकांश पात्रताधारी युवा रोजगार को तरस जाएंगे।

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प्रदेश के महात्मागांधी स्कूलों में संविदा पर लगने के लिए अभ्यर्थी की इंग्लिश मीडियम में पढ़ाई जरूरी है। लेवल वन में 7140 पदों पर भर्ती की जाएगी, जबकि, लेवल-2 के गणित और अंग्रेजी में 2860 पदों पर भर्ती होगी। इन्हें 16 हजार 900 रुपए मानदेय दिया जाएगा। 9 साल पूरे होने पर राशि बढ़कर 29 हजार 600 हो जाएगी। लेवल-2 में इंग्लिश मीडियम से स्नातक होना जरूरी है, जबकि लेवल-1 में 12वीं या समकक्ष इंग्लिश मीडियम की शर्त है। इस शर्त के चलते ग्रामीण प्रतिभाएं तो एक तरह से आवेदन ही नहीं कर पाएंगी। वहीं, सरकारी विद्यालयों में पढ़ कर बीएड व डीएलएड करने वाले भी स्नातक व बारहवीं में अंग्रेजी मीडियम नहीं होने से आवेदन से वंचित रह जाएंगे।

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निजी स्कूलों, अन्य राज्यों में पढ़े अभ्यर्थियों को मिलेगा फायदा
सरकारी स्कूलों में अब तक हिंदी माध्यम से ही पढ़ाई होती रही, लेकिन निजी स्कूलों में इंग्लिश मीडियम बरसों पहले से है। ऐसे में इस भर्ती में सीधा-सीधा निजी स्कूलों के अभ्यर्थियों को फायदा होगा। कुछ राज्यों के सरकारी स्कूलों में भी अंग्रेजी माध्यम काफी पहले से है। ऐसे में बाहर होने वाले अधिकांश अभ्यर्थी लेवल-1 के रहेंगे।

अब तक हिंदी माध्यम वालों की भी होती रही नियुक्ति
प्रदेशभर में महात्मा गांधी राजकीय स्कूलों की संख्या 1549 है। बाड़मेर जिले में 51 स्कूल हैं। अब तक इनमें शिक्षक हिंदी माध्यम वाले लगे हैं। हाल ही इंटरव्यू भी हुए थे। ये सभी शिक्षक हिंदी माध्यम के स्कूलों से हैं। यहां तक प्रधानाचार्य भी हिंदी माध्यम के स्कूलों से लगाएं गए हैं। हालांकि, ये जरूर है कि इनके अंग्रेजी के ज्ञान को वरीयता दी है।

एक तो संविदा भर्ती ऊपर से अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई की बाध्यता के कारण सरकारी स्कूलों में हिन्दी माध्यम से पढ़े विद्यार्थियों को रोजगार नहीं मिलेगा। हम तो पूरी भर्ती का विरोध करते हैं। इसके स्थान पर अंग्रेजी माध्यम में नियमित भर्ती होनी चाहिए। - मोहनलाल जाणी, बेरोजगार अभ्यर्थी

अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में संविदा पर शिक्षक रखना बेरोजगारों के साथ धोखा है। अंग्रेजी माध्यम के लिए अलग से स्थायी भर्ती प्रक्रिया ही इसका समाधान है। सरकार अपना निर्णय बदलकर बजट घोषणा अनुसार जल्द ही अलग कैडर बनाकर सीधी भर्ती करें। - घमण्डाराम कड़वासरा, जलाध्यक्ष, प्राथमिक माध्यमिक शिक्षक संघ



source https://www.patrika.com/barmer-news/knowledge-of-mother-tongue-coming-in-the-way-7864984/

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