दिलीप दवे
बाड़मेर. अकाल की मार सह रहे धरतीपुत्रों को उम्मीद थी कि अल्पकालीन ऋण चुकाने में सरकार मोहलत देगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ और खाते अवधिपार हो गए। एक-दो नहीं वरन जिले के हजारों किसानों के लिए अब अवधिपार ऋण चिंता का कारण बन गया है। अकाल की मार के बीच मूल रकम चुकाने में भी जोड़ तोड़ चल रहा था तो अब ब्याज राशि देनी होगी और ऊपर से इस साल ऋण भी नहीं मिल पाएगा। ऐसे में जिले में 510 करोड़ रुपए की राशि जमा होने से रह गई जिसका सात फीसदी ब्याज चुका किसानों को जमा करवाना होगा। जिले के अधिकांश किसानों ने बाड़मेर सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक से ऋण ले रखा है। खरीफ की फसल बुवाई में किसानों को आर्थिक परेशानी नहीं झेलनी पड़े इसलिए सरकार अल्पकालीन ऋण देती है। अमूमन अप्रेल से जून के बीच तिथि तय होती है और किसानों को बैंकों के मार्फत ऋण मिल जाता है। जिसको समय पर चुकाने पर किसानों को ब्याज नहीं देना होता है और अगले साल के लिए भी आसानी से ऋण मिल जाता है। इस बार 31 मार्च ऋण चुकाने की अंतिम तिथि थी लेकिन अकाल की जिले में अकाल की िस्थति को देखते हुए गांवों में यह बात फैला दी गई कि ऋण् भरने की अंतिम तिथि डेढ़ माह बढ़ा दी गई है। इस पर किसान निश्चित हो गए और अधिकांश ने ऋण चुकाया ही नहीं। जब 31 मार्च की अवधि खत्म ुई तो बैंकों ने अवधि पार खातों की जानकारी दी जिस पर पता चला कि ऋण चुकाने की अंतिम तिथि को निकल चुकी है। अब किसान चक्कर काट रहे हैं कि अवधि बढ़ी या नहीं लेकिन अब तक केवल आश्वासन ही मिल रहा है। जानकारी के अनुसार राज्य सरकार की ओर से अमूमन नियमित तिथि को एक महीने तक ऋण चुकाने के लिए तारीख बढ़ाकर किसानों को छूट दी जाती है। लेकिन इस बार सरकार ने ऐसा नहीं किया जो पूर्व में निर्धारित नियमित तिथि को क्लोजिंग कर दिया जिस पर हजारों किसान ऋण चुकाने में पीछे रह गए।
प्रचार-प्रसार का अभाव-सोशल मीडिया के युग में जहां हर बैँक ऋण चुकाने के लिए उपभोक्ताओं को मैसेज भेज देती है, वहां अल्पकालीन ऋण लेने वाले किसानों को अंतिम तिथि की जानकारी नहीं दी गई।किसानों ने बाड़मेर सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक के अधीन संचालित ग्राम सेवा सहकारी समितियों के व्यवस्थापकों से सम्पर्क किया तो यहीं कहा गया कि अभी ऋण नहीं चुकाना है। ऐसे में किसान ऋण चुकाने से रह गए।
तिथि बढ़े तो मिटे चिंता
बाड़मेर जिले के करीब डेढ़ लाख से अधिक किसानों से 510 करोड रुपए ऋण की वसूली नहीं हुई है। किसानों का कहना है कि सरकार को ऋण चुकाने की तिथि बढ़ानी चाहिए ताकि किसानों को 7% के हिसाब से लगने वाले ब्याज की छूट मिल सके। वहीं अगली खरीफ फसल को लेकर ऋण मिल सके।
लक्ष्य बढ़ा पर किसानों के खाते अवधिपार
वर्ष 2021-22 में 1 लाख 45 हजार किसानों को 760 करोड रुपए का ऋण बांटा गया था। उसमें से मात्र 250 करोड रुपए की वसूली प्राप्त हुई जबकि 510 करोड रुपए का ऋण किसान नहीं चुका पाए वर्ष 2022-23 के लिए 2 लाख 10 हजार किसानों को 825 करोड़ का ऋण दिया जाएगा। लेकिन किसानों के खाते अवधिपार होने से ऋण लेने में परेशानी का सकती है।किसानों की पीड़ा समझे किसान- हमारे जिले में अकाल की िस्थति के चलते दो वक्त की रोटी का प्रबंध मुश्किल हो रहा है। ऐसे में ब्याज सहित ऋण कैसे चुका पाएंगे। जिले के जनप्रतिनिधियों व प्रशासन से अपील है कि किसानों की पीड़ा को समझे और सरकार तक बात पहुंचा राहत दिलवाएं।
- भानाराम कड़वासरा, किसान सिणधरी
सरकार जल्द दे राहत- किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ सकती है। एक तो ब्याज भरना और अगली बार ऋण नहीं मिलने की चिंता। सरकार हर बार अवधि बढ़ाती है तो इस बार अकाल को देखते हुए जल्द ही अवधि बढ़ाए जिससे कि किसानों की चिंता कम हो सके।
- उम्मेदसिंह आराबा, प्रधान पंचायत समिति कल्याणपुर
किसानों की समस्या जायज है जिसकी मैं पैरवी कर रहा हूं। मैंने मंत्रीजी को पत्र भेजकर समस्या से अवगत करवाते हुए ऋण जमा करवाने की तिथि बढ़ाने का अनुरोध किया है। उम्मीद है कि जल्द ही तिथि बढ़ा दी जाएगी।
- हरीश चौधरी, पूर्व राजस्वमंत्री व एवं बायतु विधायक
source https://www.patrika.com/barmer-news/the-accounts-have-crossed-the-period-7460364/
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