बाड़मेर. स्टाफिंग पैटर्न की समीक्षा को लेकर प्रदेश के शिक्षा विभागों में दोहरा मापदंड देखने को मिल रहा है। एक तरफ जहां प्राथमिक शिक्षा निदेशालय के अधीन संचालित प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में नियमित समीक्षा हो रही है तो दूसरी ओर माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के तहत माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्कू लों में एक बार भी समीक्षा नहीं हुई है।
इसका सीधा असर इन विद्यालयों में पढ़ रहे विद्यार्थियों पर पड़ रहा है जिनका नामांकन पर्याप्त होने के बावजूद शिक्षकों के पद स्वीकृत नहीं हो रहे जिसके चलते पढ़ाई प्रभावित हो रही है। राज्य सरकार ने २०१५ में स्टाफिंग पैटर्न लागू किया जिसके तहत नामांकन के आधार पर अलग-अलग सरकारी विद्यालयों में पद स्वीकृति का नियम बनाया गया। इस नियम के लागू होने के बाद प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक स्तर के विद्यालयों की समीक्षा कर पद तय किए गए।
इसके साथ ही यह तय हुआ कि तीन साल में इसकी समीक्षा होगी और नामांकन के आधार पर हर स्कू ल में पदों में कमी या वृद्धि की जाएगी। नियम की पालना प्राथमिक शिक्षा निदेशालय में तो समय पर हो रही है लेकिन माध्यमिक में छह साल में एक बार भी स्टाफिंग पैटर्न की समीक्षा नहीं हुई है।
5 सालों में 15 लाख का नामांकन बढ़ा- प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में पांच साल में पन्द्रह लाख नामांकन बढ़ा है जिसके अनुसार स्टाफिंग पैटर्न की समीक्षा की जाए तो सैकड़ों पदों का सृजन हो सकता है, लेकिन माध्यमिक शिक्षा में 2015 में लागू स्टाफिंग पैटर्न की एक बार भी समीक्षा नहीं हुई है। जबकि प्रति दो वर्ष बाद तीसरे वर्ष स्टाफिंग पैटर्न की समीक्षा करते हुए नामांकन अनुसार पदों में कमी व वृद्धि करने का प्रावधान है।
अनिवार्य विषय में अधिक जरूरत- सरकार स्टाफिंग पैटर्न लागू करते वक्त यह निर्णय किया था कि ग्यारहवीं व बारहवीं में अस्सी से अधिक नामांकन होने पर अनिवार्य विषय हिंदी व अंग्रेजी के व्याख्याताओं के पद सृजित होने थे। प्रदेश में अब तक चार हजार से अधिक विद्यालय एेसे हैं जहां पिछले पांच साल में दोनों कक्षाओं में अस्सी से अधिक विद्यार्थी है, लेकिन स्टाफिंग पैटर्न की समीक्षा नहीं होने से व्याख्याताओं की नियुक्ति नहीं हो रही है।
विषय अनिवार्य, व्याख्याता नहीं- स्टाफिंग पैटर्न से पहले उच्च माध्यमिक विद्यालयों में संबंधित विषय के व्याख्याता सहित हिंदी व अंग्रेजी अनिवार्य विषय के व्याख्याता होते थे। स्टाफिंग पैटर्न लागू किया तो अनिवार्य विषय के व्याख्याताओं के पद हटा दिए। एेसे में वर्तमान में करीब साढ़े हजार विद्यालयों में से सात हजार में अनिवार्य विषय के व्याख्याता नहीं है। समीक्षा की जाए तो कम से कम चार हजार स्कू लों में स्टाफिंग पैटर्न के अनुसार व्याख्याता अनिवार्य विषय लग सकते हैं।
अनिवार्य विषयों के व्याख्याता पद सृजित किए जाए- "माध्यमिक शिक्षा में भी स्टाफिंग पैटर्न की समीक्षा करते हुए बढ़े हुए नामांकन के अनुसार विद्यालयों में पदों का निर्धारण किया जाए। साथ ही प्रदेश के उच्च माध्यमिक विद्यालयों में अनिवार्य विषयों हिन्दी व अंग्रेजी के व्याख्याता पद सृजित किए जाने चाहिए। - बसन्त कुमार जाणी, जिलाध्यक्ष, राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ, रेस्टा
हो रही समीक्षा- प्राथमिक शिक्षा के तहत स्टाफिंग पैटर्न को लेकर समीक्षा हो रही है। कार्यक्रम निर्धारित है उसी के अनुरूप प्रक्रिया चल रही है।- अमरदान चारण, एसीबीईओ शिव
स्टाफिंग पैटर्न समीक्षा का नहीं आदेश - हमारे पास माध्यमिक शिक्षा में स्टाफिंग पैटर्न की समीक्षा को लेकर कोई आदेश नहीं है। यह मामला राज्य सरकार के स्तर का है।-जेतमालसिंह राठौड़, एडीईओ माध्यमिक बाड़मेर
source https://www.patrika.com/barmer-news/staffing-pattern-second-time-in-preliminary-7197044/
Comments
Post a Comment
Please do not enter any spam link in the comment box.