दिलीप दवे बाड़मेर. प्रदेश में बाजरा फसल पर अनुसंधान अब थार की धरा में होगा। केन्द्र सरकार की ओर से खुलने वाला बाजरा अनुसंधान केन्द्र बाड़मेर जिले के गुड़ामालानी में खुलेगा जिसको लेकर ४० हैक्टेयर जमीन चिह्नीत हो चुकी है। इसकी विस्तृत रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी गई है, वहां से इसे केन्द्र को भेजा जाएगा। केन्द्र से स्वीकृति के बाद अनुसंधान केन्द्र शुरू होने की प्रक्रिया आरम्भ होगी।
अनुसंधान केन्द्र खुलने से न केवल बाजरा की नई-नई किस्मों की खोज होगी वरन बाजरा से होने वाले व्यापार, कुटीर उद्योग व मूल्य संवद्ध्र्रन को भी बढ़ावा मिलेगा। बाजरा उत्पादन क्षेत्र पश्चिमी राजस्थान को जल्द ही बाजरा अनुसंधान केन्द्र की सौगात मिलने की उम्मीद जगी है।
भारतीय कंदन अनुसंधान संस्थान (आइआइएमआर )हैदराबाद के क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र ने बाड़मेर जिले के गुड़ामालानी कस्बे में अनुसंधान केन्द्र खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यहां कृषि विज्ञान केन्द्र के पास करीब चालीस हैक्टेयर जमीन केन्द्र के लिए सुरक्षित (रिजर्व ) की गई है। जमीन का विशेषज्ञ टीमों ने सर्वे व अवलोकन कर दिया है और रिपोर्ट बना कर राज्य सरकार को भेजी है।
राज्य सरकार की ओर से स्वीकृति के बाद रिपोर्ट व फाइल केन्द्र सरकार के कृषि मंत्रालय में जाएगी जहां से इसकी स्वीकृति होने पर शीघ्र ही कार्य आरम्भ होगा। मोटे अनाज पर अनुसंधान व मूल्यांकन- अनुसंधान केन्द्र खुलने पर न केवल बाजरा वरन अन्य मोटे अनाज जौ, मक्का आदि पर भी अनुसंधान होगा जिससे इनका सिर्फ भोजन व चारे के रूप में उपयोग पर ही नहीं दवाई, पोष्टिक उत्पादन, बिस्किट, केक आदि उत्पादन कर अधिक से अधिक उपयोग को लेकर सर्वे होगा।
राज्य सरकार को भेजी रिपोर्ट-गुड़ामालानी में जमीन चिह्नीत होने के साथ ही सर्वे रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी है। राज्य सरकार के फैसले के बाद आगे की प्रक्रिया शुरू होगी। हमने रिपोर्ट भेजी है।- डॉ. विलास ए टोनापी, निदेशक आइआइएमआर हैदराबाद
केन्द्र की ओर से जल्द स्वीकृति- बाजरा अनुसंधान केन्द्र गुड़ामालानी में खुलने की उम्मीद है क्योंकि यहां जमीन चिह्नीत हो चुकी है। राज्य सरकार से जैसे ही स्वीकृति मिलेगी केन्द्र सरकार यहां अनुसंधान केन्द्र खोलने की प्रक्रिया पूर्ण कर देगी। यह बाड़मेर के लिए ही नहीं प्रदेश के लिए बड़ी सौगात होगी।- कैलाश चौधरी, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री
अनुसंधान केन्द्र से होने वाले फायदे- अधिक उत्पादन वाली क्षेत्र विशेष की नई किस्मों की खोज- जर्म प्लाजा देसी बाजरा पर अनुसंधान कार्य- रोग प्रतिरोधक किस्मों का विकास - प्रमाणिक बीज किसानों को आसानी से होंगे उपलब्ध - पश्चिमी राजस्थान के लिए बाजरा अनुसंधान की बनेगी संभावना - बाजरे में पाए जाने वाले पोष्टिक तत्वों पर अनुसंधान - बाजरा का आटा जल्दी खराब क्यों होता इस पर शोध - बाजरा के मूल्य संवद्र्धन व प्रस्संकरण पर विशेष ध्यान - बाजरा के बीज व्यापार को बढ़ावा, कुटीर उद्योग को मिलेगा प्रोत्साहन- किसानों की आय में होगी वृद्धि
source https://www.patrika.com/barmer-news/millet-research-center-will-open-in-gudamalani-land-marked-report-re-7077224/
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