बाड़मेर. जिले के कई क्षेत्रो में पिछले 10 दिनों से लगातार कही कम तो कही ज्यादा बारिश हो रही है जिसका असर यहां पर पलने वाले पशु गाय, भैंस, भेड़ व बकरी पर सीधा पड़ेगा, क्योंकि एेसे में इनके आहार वैज्ञानिक विधि से प्रबंधन किया जाए। उक्त बात कृषि विज्ञान केन्द्र दांता बाड़मेर के पशुपालन विशेषज्ञ बी.एल.डांगी ने कंटलिया का पार, गागरिया में आयोजित असंस्थागत प्रशिक्षण में विषय दुधारू पशुओं में पोषण प्रबंधन पर पशुपालको को संबोधित करते हुए कही ।
उन्होंने कहा कि पशुओं का वैज्ञानिक विधि से खान - पान तैयार करने पर अधिक उत्पादन लिया जा सकता है। पशुओं के बछड़े- बछडि़यों के लिए अलग आहार तैयार करना, दूध देने वाले जानवर के लिए, ग्याभिन जानवर के लिए एवं सूखे जानवर के लिए आहार तैयार कर देना एक अहम रोल है। दूध देने वाले जानवर को 2.5 - 3.0 लीटर दूध पर 1 किलो दाना, ग्याभिन जानवर को अलग से 1 किलो दाना देना एवं सुखी गाय को 1 किलो दाना उसके जिवन निर्वाह के लिए देना उचित रहता है।
डांगी ने बताया कि पशु ब्याने के बाद बछड़े को तुरन्त खीस पिलाना बहुत जरूरी हो जाता है क्योंकि खीस पिलाने से बछड़े की रोगप्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।
इस अवसर पर केन्द्र के पादप सरंक्षण विशेषज्ञ एस.एल.कांटवा ने बताया कि पशुओं के लिए अकाल के समय यहां पर पनपने वाली घासें सेवण एवं धामण घास बहुत उपयोगी है क्योंकि इन घासों को पनपने के लिए बहुत ही कम पानी की जरूरत पड़ती है।
इन घासों को पशुओं को खिलाकर अधिक दूध उत्पादन लिया जा सकता है। कृषि पर्यवेक्षक पंकज बृजवाल ने राजस्थान सरकार की आेर से कृषि विभाग के मार्फत चलाई जा रही योजनाओ जैसे फव्वारा सेट, खेत तलाई, तारबंदी योजना, पाइप लाइन आदि पर मिलने वाले अनुदान पर जानकारी दी।
source https://www.patrika.com/barmer-news/manage-the-feed-of-milch-animals-with-scientific-method-7089083/
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