
बाड़मेर. बालिका शिक्षा को लेकर सरकार की बेरुखी और जनप्रतिनिधियों की फौरी पैरवी के चलते स्कू ल बंद हो रहे हैं तो छात्रावासों का पर्याप्त सुविधा नहीं मिल रही। इसको लेकर प्रभावित बालिकाओं के स्वर भी मुखर होने लगे हैं। बालिकाओं का कहना है कि शिक्षा की बात तो हो रही लेकिन सही पैरवी नहीं हो रही इसलिए चार ब्लॉक मुख्यालय पर बालिका विद्यालयों पर ताले लग गए।
उनके अनुसार लगभग पैंतालीस फीसदी नामांकन के बावजूद कम विद्यालय होने का दंश उनको सहना पड़ रहा है। जिले में छात्रों के साथ कंधे से कंधा मिला कर आगे बढ़ रही बालिकाओं का दर्द यह है कि उनकी पढ़ाई को लेकर कोई भी गंभीरता नहीं लेता। एक तरफ जहां जिले में करीब पैंतालीस सौ विद्यालय सह शिक्षा के हैं तो बालिका शिक्षा के लिए महज ९२ स्कू ल।
उसमें से भी चार ब्लॉक मुख्यालय सिणधरी, शिव, रामसर व गुड़ामालानी में बालिका विद्यालयों को महात्मागांधी अंग्रेजी माध्यम स्कू ल संचालन के लिए बंद कर दिया। एेसे में बालिकाओं के सामने पढ़ाई छोडऩे के सिवाय कोई विकल्प नहीं बचा। बालिका स्कू ल ही बंद क्यों- महात्मागांधी स्कू ल के लिए बालिका विद्यालय ही बंद क्यों किया गया। बालिकाओं को हिन्दी माध्यम में पढऩे के लिए कोई अलग से व्यवस्था नहीं होने से भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। आगे पढाई के लिए कस्बे से डेढ़ किलोमीटर दूर छात्रों के विद्यालय में जाना पड़ रहा है। दूरी व अन्य परेशानियों को देखते हुए कई छात्राओं को मजबूरन बीच में ही पढाई छोडऩी पड़ रही है।- प्रियका गहलोत, छात्रा गुड़ामालानी
पढाई से वंचित हो रही बालिकाएं- कस्बे सहित आसपास से सैकड़ों बालिकाएं मुख्यालय स्थित विद्यालय में अध्ययन के लिए पहुंचती थी। वर्तमान में बालिकाओं के पढऩे के लिए कोई अलग से व्यवस्था व विद्यालय नहीं होने से बालिकाएं पढ़ाई से वंचित हो रही है। गुड़ामालानी में हम तो बालिका महाविद्यालय की उम्मीद में थे लेकिन यहां तो बालिका स्कू ल की बंद कर दिया। - लता शर्मा, छात्रा गुड़ामालानी
बॉर्डर पर बालिका शिक्षा की जरूरत- बॉर्डर के रामसर, गडरारोड क्षेत्र में शिक्षा का स्तर वैसे भी कम ही है। एेसे में रामसर में बालिका विद्यालय बंद कर अंग्रेजी माध्यम का स्कू ल खोलने से बालिकाओं की पढ़ाई पर ज्यादा प्रभाव प़ा है। जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि वे पैरवी कर दो पारी में स्कू ल संचालित करवा दे जिसमें एक पारी हिंदी माध्यम की हो और बालिका स्कू ल पुन: शुरू कर दिया जाए।- धापूकुमारी, छात्रा रामसर
पैरवी की जरूरत- बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए पैरवी की जरूरत है जो जनप्रतिनिधि कर सकते हैं। हमारा स्कू ल बंद हुआ तो कई बालिकाओं की पढ़ाई छूट गई। घर से दूर दूसरे स्कू ल में जाने पर परिजन भी चिंतित रहते हैं। हमारी स्कू ल पुन: आरम्भ होनी चाहिए।- लक्ष्मी, छात्रा रामसर
मजबूरन सह शिक्षा स्कू ल में पढ़ाई- आठवीं उत्तीर्ण होने के बाद ब्लॉक मुख्यालय पर बालिका स्कू ल होने पर वहां प्रवेश को लेकर उत्साह था, लेकिन पता चला कि वह स्कू ल तो महात्मागांधी अंग्रेजी माध्यम में बदल चुका है। एेसे में गल्र्स स्कूल में प्रवेश नहीं मिल पाया जिससे मजबूरन होकर अन्य स्कूल में दाखिला लेना पड़ा- गंगाकुमारी जीनगर,छात्रा सिणधरी
source https://www.patrika.com/barmer-news/we-should-also-get-equal-right-to-read-7028029/
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