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जल रही खड़ी फ़सलें टूट रही आस



बाड़मेर. थार में बारिश का इंतजार किसानों पर भारी पड़ रहा है। स्थिति यह है कि अब खेतों में खड़ी फसलें जल रही है तो कई जगह आंधियों का दौर चल रहा है जिस पर अंकुरित धान भी जमीदोज होने लगा है। इसकी चिंता किसानों के चेहरों पर नजर आने लगी है। करीब १२ लाख हैक्टेयर में ख्ररीफ की बुवाई होने के बाद पर्याप्त बारिश नहीं होने पर फसलें जलने लग गई है।
पिछले तीन माह का इंतजार अब खत्म होने पर जमाने की आस को तोड़ रहा है। सीमावर्ती जिले बाड़मेर में बारिश का इंतजार इतन लम्बा हो चुका है कि अब किसानों की उम्मीद भी टूटने लगी है। मानसून (वरसालों )शुरू होते ही जून में बारिश की उम्मीद बंधी तो मौसम विभाग की भविष्वाणी ने भी किसानों की आस पर उम्मीद के पर लगाए। इस दौरान पहले आए तूफान और बाद में प्री मानसून की बारिश से उम्मीद जगी लेकिन मानूसन सक्रिय हुआ तो बाड़मेर पर मेहरबान नहीं हुआ।
इस दौरान मौसम विभाग के अनुसार बाड़मेर में मानसून कई दिन रुक गया लेकिन यहां बूंदाबांदी तक नहीं हुई। इसके बाद लगातार इंतजार ही चलता रहा। इस इंतजार में साढ़े तीन माह निकल गए लेकिन बाड़मेर में बारिश न के बराबर हुई है।
फसलें लगी जलने, चल रही आंधिया- जिले में बारिश नहीं होने पर अब खेतों में खड़ी फसलें जलने लगी है। स्थित यह है कि अधिकांश गांवों में अकाल की आहत सुनाई देने लग गई है। वहीं, आंधियों का दौर भी पिछले दो-चार दिन में शुरू हो चुका है जिस पर अब बारिश की उम्मीद भी कम होने लगी है।
किसानों की नजर आकाश पर, मन से अरदास- किसानों की नजर अब हर दिन आकाश पर रहती है। सुबह होते ही बादलों की ओर देखने लगते हैं तथा कई दूर बादल दिखने या बिजली कडक़ने पर मन ही मन अरदास करते हैं कि इन्द्रदेव अब तो मेहरबान हो जाए। उनके अनुसार धान भले ही मत हो लेकिन पशुधन के लिए चारे पानी का प्रबंध तो हो ही जाए।
बारिश सामान्य से काफी कम-जिले में बारिश का आंकड़ा सामान्य से काफी कम है। इसके चलते खेत सूखे हुए हैं तो नाडी-तालाब भी खाली पड़े हैं। अब तक जिले में ७९ एमएम बारिश ही हुई। सामान्य बारिश से ४३.़३ एमएम कम है। इस पर अकाल की चिंता सता रही है।
अकाल की आहत- साढ़े तीन माह से बारिश का इंतजार कर रहे हैं। अब बारिश नहीं होने से अकाल की आहत सुनाई दे रही है। भगवान से अरदास है कि पशुधन के भाग्य की बारिश हो जाए।- मूलाराम, किसान भिंयाड़
आंधियों का दौर शुरू- अब आंधियों का दौर शुरू हो चुका है। फसलों पर रेत आने से वे जलने लगी है। दो-चार दिन में बारिश हो तो कम से कम जमीन की गर्मी तो कम होगी और घास हो जाएगा।- रतनसिंह, हापों की ढाणी

बारिश कम होने से चिंता- बारिश कम होने से चिंता जरूर है। फसलों की बुवाई काफी हो रखी है। फसलें जलने की जानकारी किसान दे रहे हैं। अभी भी बारिश हो तो फसलों को कुछ संजीवनी मिल सकती है।- डॉ. प्रदीप पगारिया, कृषि वैज्ञानिक केवीके बाड़मेर



source https://www.patrika.com/barmer-news/burning-standing-crops-are-breaking-hope-7035845/

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