
बाड़मेर. जिले के खेतों की डगर पर गड्ढों की पगडंडी के बीच धरतीपुत्र घर से खेत पहुंचने में जितने परेशान होते हैं उतने तो वे खेत की सार संभाल करने में भी नहीं होते। यह स्थिति पूरे जिले में जहां सडक़ें जवाब दे चुकी है। इन पर टै्रक्टर लेकर चलने पर दूरी और ज्यादा बढ़ जाती है।
स्थिति यह है कि कई सडक़ें दस साल से क्षतिग्रस्त है ते कई पांच साल से। सीमावर्ती जिला बाड़मेर कृषि प्रधान जिला है। यहां करीब सवा चार लाख किसान १९ लाख हैक्टेयर में खरीफ की बुवाई करते हैं। गांव से खेतों की दूरी अधिक होने से किसान वाहन लेकर खेत पहुंचते हैं, लेकिन जिले की सडक़ें एेसी है कि खेत तक पहुंचते-पहुंचते किसानों की हालत खस्ता हो जाती है। जानकारी के मुताबिक जिले में वत्रमान में गांवों को जोडऩे वाली प्रधानमंत्री सडक़ों में ३५८० किमी सडक़ें एेसी हैं जो जर्जर हो चुकी है। इन सडक़ों पर वाहन चलाना तो दूर पैदल चलने में भी दिक्कत होती है। एेसे में इन सडक़ों का उपयोग किसान करते हैं तो उनको खेतों तक पहुंचने पर अधिक समय लगता है। स्थिति यह है कि खेतों में काम करते जितने किसान परेशान नहीं होते उतने वे इन सडक़ों पर सफर करके हो रहे हैं।
बाड़मेर के आसपास हालात यह- जिला मुख्यालय बाड़मेर और आसपास के इलाकों की बात की जाए तो यहां करीब ८० सडक़ें जिनकी लम्बाई ३७५ किमी है, वे खस्ताहाल है। हालांकि इनमें कुछ नवीन सडक़ें भी है जिनकी स्वीकृति का प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन वर्तमान में यहां ग्रेवल रोड या पगडंडी जो भी है वह भी खराब ही है। सरकार के पास इन सडक़ों की मरम्मत का प्रस्ताव भेजा हुआ है।
पूरे जिले में स्थिति खराब- बाड़मेर जिला मुख्यालय के आसपास ही नहीं पूरे जिले में सडक़ों की स्थिति खराब है। पूरे जिले में ३५८० किमी सडक़ें खस्ताहाल है। विशेषज्ञों के अनुसार हालांकि मरम्मत तो होती है, लेकिन यहां नवीनीकरण की जरूरत रहती है। वहीं, विभाग के पास बजट की स्वीकृति भी कम आती है। एेसे में क्षतिग्रस्त सडक़ों की मरम्मत कई साल तक नहीं हो पाती। टै्रक्टर खाते हिचकोले, दुपहिया चलाना मुश्किल- किसानों के अनुसार एेसी सडक़ों पर वाहन चलाना मुश्किल हो जाता है। ट्रैक्टर इतने हिचकोले खाकर चलता है कि उस पर बैठे किसानों को खेत पहुंचने से ज्यादा अनहोनी होने का डर रहता है। वहीं अधिकांश किसान दुपहिया वाहनों का उपयोग खेत जाने के लिए करते है, उनके लिए बाइक चलाना मुश्किल हो जाता है।
सडक़ों पर ध्यान देने की जरूरत- जिले में सडक़ें खस्ताहाल है। इन पर ध्यान देने की जरूरत है। किसान खेत और घर के बीच इन सडक़ों का उपयोग करते हैं, सरकार जल्द ही सडक़ों की मरम्मत करवाए।- डॉ. जालमसिंह रावलोत, पूर्व विधायक शिव
सडक़ों की स्वीकृति मिली है, आगे भी प्रयास- हाल ही में जिले में काफी सडक़ों की स्वीकृति राज्य सरकार ने दी है। हमारा प्रयास है कि अधिक से अधिक सडक़ों की मरम्मत हो। टेंडर हो चुके हैं, जल्द ही सडक़ों का कार्य होगा। बाड़मेर जिले में सर्वाधिक स्वीकृति मिली है। - मेवाराम जैन, विधायक बाड़मेर
प्रस्ताव भेजे हुए- बाड़मेर क्षेत्र में अस्सी सडक़ें जिनकी लम्बाई ३७५ किमी है उनकी मरम्मत व नवीनीकरण के प्रस्ताव भेजे हुए हैं।- महावीर जैन, अधिशासी अभियंता, सार्वजनिक निर्माण विभाग वृत्त बाड़मेर
बजट स्वीकृति होने पर कार्य- हाल ही कुछ सडक़ों की स्वीकृति आई है। हमने पूरे जिले की सडक़ों की मरम्मत व नवीनीकरण के प्रस्ताव भेजे हुए हैं। बजट स्वीकृति होने पर कार्य प्राथमिकता से किया जाएगा। - कपिल वर्मा, अधीक्षण अभियंता, सार्वजनिक निर्माण विभाग बाड़मेर
source https://www.patrika.com/barmer-news/the-footpath-of-the-pits-on-the-path-of-the-fields-6911958/
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