आमतौर पर माना जाता है कि मशीनों के आने से इंसानों का रोजगार छिनता है, लेकिन यह सही नहीं है। उद्योग नगरी भिवाड़ी में दुनिया की बड़ी कार कंपनी होंडा के प्लांट में इंसानों के बीच 130 रोबोट ने काम संभाला तो क्वालिटी व उत्पादन बढ़ा। इसके कारण जो काम रोबोट नहीं कर पाए उनके लिए अतिरिक्त मजूदरों की जरूरत पड़ी।
इससे रोजगार के नए मौके मिले। कंपनी के दो प्लांटों में 9000 मजदूरों की मदद 130 रोबोट कर रहे हैं। इन्हें पेंट, वेल्डिंग और क्वालिटी चेक का जिम्मा दिया है। इसका फायदा ये भी है कि पेंट के दौरान उड़ने वाले केमिकलों से इंसानों की सेहत को होने वाला नुकसान भी अब नहीं होता। होंडा के 2007 में शुरु हुए खुश्खेड़ा प्लांट में रोजाना 4500 से अधिक स्कूटर और बाइक बन रहे हैं। यहां 4000 मजदूर और 30 रोबोट तथा फोरव्हीलर प्लांट में 5000 मजदूरों के साथ 100 से अधिक रोबोट लगे हैं। यहां रोजाना 450 कारें बनती हैं।
1 के बदले 4 नए लोगों को रोजगार के अवसर
विशेषज्ञों के अनुसार रोबोट हर जगह उपयोग कर हैं। अब कंपनियां बिना ड्राइवर वाली ऑटोमेटिक कारों की तरफ बढ़ रही है। अभी दिल्ली मेट्रो ड्राइवर लैस हुई है। ये खुद चलने वाले वाहन हैं, लेकिन इनकी मॉनिटरिंग में इंसानों की भूमिका, मांग बढ़ी है।
रोबोट सही काम करे इसके लिए 4 इंजी. की जरूरत होती है। वे रोबोट की प्रोग्रामिंग, मेंटनेंस, एप्लीकेशन और सर्विस का काम करते हैं। यानी सीधे तौर पर इंजीनियरिंग पढ़े युवाओं की मांग बढ़ती है। इसीलिए कंपनियां अब पाठ्यक्रमों में भी रोबोटिक्स को प्रोत्साहन देने का काम भी कर रही हैं।
एक रोबोट की कीमत 1 करोड़ तक, 100% गुणवत्ता देते हैं
रोबोट सटीक पैरामीटर पर काम करते हैं। अगर सभी फंक्शन ठीक काम करें तो गलती नहीं होती। इससे 100% तक एक्युरेसी वाली क्वालिटी मिलती है। होंडा के अतिरिक्त सेंट गोबन 7 और हैनन में 4 रोाबेट काम रहे हैं। एमएसएमई के पोस्ट डिप्लोमा टेक्नॉलोजी हैड राकेश पति के अनुसार इसकी कीमत एप्लीकेशन पर निर्भर है। बाजार में 5 लाख से लेकर 1 करोड़ रुपए तक के रोबोट हैं। ऑटोमोबाइल कंपनियों में कूका और मिश्रवेसी के रोबोट काम आते हैं।
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