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सात माह तक काेराेना से बचाए रखा बीकानेर जेल के कैदियाें काे, प्रदेश की सभी जेलाें काे ले चुका था चपेट में

(मनमाेहन अग्रवाल). जब काेराेना का संक्रमण एक के बाद एक लगातार प्रदेश की सभी जेलाें में बंदियाें काे चपेट में ले रहा था, तब बीकानेर जेल ही ऐसी थी जिसमें बंदियाें काे इससे बचाए रखा गया। करीब सात माह तक बीकानेर जेल का एक भी बंदी काेराेना पाॅजिटिव नहीं हुआ।

शहर से दूर बीछवाल में स्थित बीकानेर की सेंट्रल जेल 160 बीघा में फैली है और प्रदेश की सबसे बड़ी जेल है। इसी कारण यहां दूसरे जिलाें और राज्य के बंदियाें काे भी भेजा जाता है और हर समय करीब डेढ़ हजार बंदी जेल में रहते हैं। इस साल मार्च में काेराेना वायरस का संक्रमण हाेते ही प्रदेश की जेलाें में बंद बंदियाें पर खतरा मंडराने लगा।

बचाव के इंतजाम किए गए, लेकिन काेराेना ने राज्य की सभी नाै केन्द्रीय जेलाें के बंदियाें काे चपेट में लेना शुरू कर दिया। अगस्त माह तक प्रदेश की सभी जेलाें में तेजी से बंदी काेराेना संक्रमित हाेने लगे। ऐसे में केवल मात्र बीकानेर जेल ही ऐसी रही, जहां स्टाॅफ और बंदियाें ने मिलकर पुख्ता इंतजाम किए जिससे सितंबर माह तक एक भी बंदी काेराेना से संक्रमित नहीं हुआ।

अक्टूबर और नवंबर में नाै बंदी पाॅजिटिव जिनमें से ज्यादातर दूसरी जेलाें से आए थे, वाे भी ठीक हाे चुके और अब जेल का एक भी बंदी संक्रमित नहीं है। जेल में विचाराधीन बंदियाें का लगातार आना-जाना रहता है। बंदी बैरकाें में एक साथ रहते हैं। बैरक से बाहर भी एक-दूसरे के संपर्क में आते हैं, ऐसे में उन्हें काेराेना से बचाए बड़ी चुनाैती थी। जेल स्टाॅफ और खुद बंदियाें ने मिलकर इसका सामना किया।

काैन, कब मिला पाॅजिटिव

  • काेराेना काल में सितंबर तक जेल में एक भी बंदी पाॅजिटिव नहीं हुआ। 25 अक्टूबर काे चार बंदी पाॅजिटिव मिले जिनमें से एक श्रीगंगानगर और दूसरा करणपुर जेल से आया था।
  • 27 अक्टूबर काे दाे बंदी पाॅजिटिव मिले।
  • तीन नवंबर काे एक बंदी पाॅजिटिव आया।
  • आठ नवंबर काे दाे बंदी पाॅजिटिव मिले जिनमें से एक नागाैर जेल से और दूसरा पैराेल से वापस लाैटा था।
  • ये सभी बंदी ठीक हाे चुके हैं। अब जेल में एक भी काेराेना पाॅजिटिव बंदी नहीं है।

जेल में बनाए माॅस्क, फिनाइल और पूरी सतर्कता बरती

  • बीकानेर जेल में ही बंदियाें ने करीब 65 हजार डबल लेयर माॅस्क बना डाले। मार्च में प्रत्येक बंदी के पास माॅस्क था। करीब 50 हजार माॅस्क ताे जयपुर जेल स्थित शाॅप पर भेजे गए। इसके अलावा जाेधपुर और संभाग की प्रत्येक जेल में माॅस्क की सप्लाई की गई।
  • मेडिकल स्टाॅफ काे अलर्ट और कैंप लगाकर सभी बंदियाें, स्टाॅफ और उनके परिजनाें की जांच करवाई। खुली जेल में जांच करवाई।
  • लाॅकडाउन में स्टाॅफ काे जेल से जाने नहीं दिया। छुट्टियां कैंसिल कर दी।
  • सेनेटाइजर और साेडियम हाइपाे क्लाेराइड का लगातार छिड़काव किया। साफ-सफाई का खास ध्यान रखा। जेल में ही बंदियाें ने फिनाइल तैयार किया जिससे राेजाना सफाई की जा रही है।
  • जेल में खाने-पीने सहित प्रत्येक सामान पूरी तरह सेनेटाइज करने के बाद ही अंदर जाताा है।
  • बंदियाें के चद्दर-कंबल काे फिनाइल से गर्म पानी में साफ किया जाता है जिससे कि संक्रमण ना फैले।

^कोरोना संक्रमण शुरू होने के समय से ही जेल में बचाव के पूरे इंतजाम किए जा रहे हैं। इसी कारण अब तक बीकानेर जेल में बंदी सुरक्षित है। इसमें जेल स्टॉफ, चिकित्साकर्मी और बंदियों का संयुक्त प्रयास है।
परमजीतसिंह सिद्दू, बीकानेर जेल अधीक्षक

मई से अगस्त तक राज्य की जेलाें में 901 काेराेना पाॅजिटिव बंदी
जिला जेल जयपुर - 154, दाैसा - एक, झुंझुनूं - दाे, उप जेल सांचाेर - एक, छाेटी सादड़ी - चार, गुलाबपुरा - एक, खुला बंदी शिविर झालावाड़ - एक, जिला जेल बारां - दाे, खुला बंदी शिविर अजमेर - एक, केन्द्रीय जेल अलवर - छह, उप जेल सांगाेद - तीन, जिला जेल बाड़मेर - 129, सिराैही - सात, प्रतापगढ़ - 132, उप जेल किशनगढ़ बास - दाे, केन्द्रीय जेल उदयपुर - 12, जयपुर - 118, भरतपुर - 82, काेटा - 86, जिला जेल नागाैर - एक, उप जेल जैतारण - तीन, जिला जेल धाैलपुर - आठ, केन्द्रीय जेल जाेधपुर - नाै, केन्द्रीय जेल अजमेर - 112, जिला जेल सीकर - नाै, भीलवाड़ा - सात, उप जेल ब्यावर - एक, केन्द्रीय जेल श्रीगंगानगर - दाे, उप जेल कपासन - तीन, जहाजपुर - दाे



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The prisoners of Bikaner Jail kept alive for seven months from Karenna, had taken all the jails of the state in grip


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