Skip to main content

डिस्कॉम की मनमानी देखिए, बिलों में जोड़कर भेज रहे पांच साल पहले की ऑडिट राशि, उपभोक्ताओं को इसकी सूचना तक नहीं

जोधपुर डिस्कॉम के बिलिंग सिस्टम और विभागीय लापरवाही उपभोक्ताओं की जेब पर भारी पड़ रही है। हाल ही में बिजली विभाग द्वारा जारी हुए बिलों में वर्ष 2015-16 की ऑडिट राशि जुड़ कर आ रही है। ऐसे में अब उपभोक्ता खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। आपको जानकार हैरानी होगी कि उपभोक्ताओं के बिलों में ऑडिट राशि 1 हजार रुपए से लेकर 40 हजार रुपए से अधिक तक जुड़कर आ रही है।

सबसे ज्यादा परेशानी उन लोगों को आ रही है जो किराएदार के तौर पर किसी मकान में रह रहे हैं। वहीं उपभोक्ताओं की मानें तो पुराने सभी बिल उन्होंने भरे थे। इसके बावजूद ऑडिट राशि निकाल दी गई है। उपभोक्ताओं को बिजली दफ्तरों में चक्कर लगवाए जाते हैं और सेटलमेंट के नाम पर फीस अलग से वसूली जा रही है। देखा जाए तो कोरोना के चलते आर्थिक मंदी और त्योहारी खर्च से लोग पहले से ही परेशान थे, अब ऑडिट राशि के कारण जेब पर अचानक पड़े अतिरिक्त आर्थिक भार से उपभोक्ताओं की नींद उड़ गई है।

केस 1 जंक्शन हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में किराएदार के तौर पर रह रहे आशु ने बताया कि इस बार के बिल में करीब 3100 रुपए अधिक जुड़कर आए हैं। हमेशा से उनका बिल ढाई-तीन हजार ही आता था लेकिन इस बार 6500 रुपए आया है।

केस 2 गांव हिरनांवाली के निवासी अमन अरोड़ा ने बताया ऑडिट के 3248 रुपए जोड़े गए हैं। विद्युत विभाग ने मुझे अब एवरेज के हिसाब से बिल भेज दिया। बिल के सेटलमेंट के 100 रुपए शुल्क भी दिया है।

समाधान के लिए भी देना होगा शुल्क, बिल सहित ऑडिट की आधी राशि भी जमा करवानी होगी
विभाग की बिलिंग सिस्टम की सबसे बड़ी कमी यह है कि अगर आपका बिल कम आया है और विभाग ने रुपए ज्यादा जोड़कर भेजे हैं तो उसे सही करवाने के लिए सेटलमेंट की रसीद कटवाई जाएगी। आपको करंट बिल सहित ऑडिट की आधी राशि पहले जमा करवानी होगी। अगर आपका प्रकरण 25 हजार रुपए से कम का है तो 100 रुपए और ज्यादा है तो 250 रुपए सेटलमेंट फीस देनी होगी। यानी विभाग पहले गलती करेगा फिर उसे सुधरने के लिए सेटलमेंट करेगा और उस सेटलमेंट के लिए भी फीस भी आपसे ही वसूलेगा। मजे की बात यह है कि अगर आपका केस सही साबित होता है तो भी सेटलमेंट फीस रिफंड नहीं होती है।

नियम जानिए...अधिवक्ता रविंद्र जौल ने बताया कि डिस्कॉम अगर किसी उपभोक्ता के बिल की ऑडिट करता है तो सबसे पहले उसे नोटिस भेजकर उसे सूचना दी जाती है। इसके बाद उपभोक्ता से उसका पक्ष सुना जाता है। अगर कहीं भी बिल की राशि कम ज्यादा है तो उसी समय निपटारा हो जाता है। वैसे ऑडिट हर दो साल में होनी चाहिए।

आप के लिए सुझाव...कुछ दिन के लिए अगर आप घर से बाहर जा रहे हैं तो बिजली दफ्तर में लिखित सूचना देकर इसकी रसीद प्राप्त करें। इसे ही बिजली विभाग आपके मीटर की कम रीडिंग का उचित कारण मानेगा।

डिस्कॉम की क्या गलती रही इस तरह समझिए
विभाग के अनुसार ऑडिट टीम ने वित्तीय वर्ष 2015-16 के रिकॉर्ड की जांच की थी। इसमें कई उपभोक्ताओं से बिजली बिलों में निर्धारित से कम राशि जमा होना सामने आया था। ऐसे में विभाग द्वारा बिल बनाते समय टैरिफ गलत लगाने, गलत एवरेज, कम रीडिंग आदि भूलचूक के चलते गलत बिल जारी होने के कारण निगम को कम राशि का भुगतान हुआ। अब ऑडिट के बाद उपभोक्ताओं के रिकॉर्ड खंगालने में गलतियां पकड़ में आई तो वास्तविक राशि का आकलन किया गया। अब इसी राशि के अंतर को वसूलने के लिए उपभोक्ताओं के बिजली बिल में ऑडिट राशि जोड़ दी गई है।

अन्य चार्ज वाले कॉलम में दी जा रही ऑडिट राशि...

विभाग द्वारा जो बिजली के बिल भेजे जा रहे हैं उनमें ऑडिट का कोई अलग से कॉलम नहीं दिया गया है। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक ‘अन्य देय’ वाले कॉलम में ऑडिट राशि जोड़ी गई है। अब उपभोक्ता ‘अन्य देय’ वाले कॉलम में बढ़ी हुई राशि देखकर बिजली दफ्तर पता करने जाता है तब उसे मालूम चलता है कि इसमें ऑडिट राशि जुड़कर आई है।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Discom's arbitrary view, adding to the bills the audit amount of five years ago, not even notice to consumers


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3qaMtak

Comments

Popular posts from this blog

भास्कर LIVE अपडेट्स:कर्नाटक सरकार में मंत्री केएस ईश्वरप्पा के खिलाफ कांग्रेस का हल्ला बोल, तिरंगे पर दिया था अपमानजनक बयान https://ift.tt/O5oIAD6

from देश | दैनिक भास्कर https://ift.tt/QV8eyOP

फ्रांसीसी गोताखोर ने डीप-डाइविंग में 7वीं बार तोड़ा विश्व रिकॉर्ड:समुद्र में 393 फीट की गहराई तक लगाया गोता, 3 मिनट 34 सेकंड में पूरी की डाइव https://ift.tt/UHiFcng

from स्पोर्ट्स | दैनिक भास्कर https://ift.tt/N65HPAU