(परिमल हर्ष/राहुल हर्ष). कार्तिक पूर्णिमा पर सांख्य प्रणेता महर्षि कपिल मुनि की तपोस्थली कोलायत में भरने वाले मेले में नौ सौ साल पुरानी परंपरा टूटेगी। इस बार यहां ढाई दिन का श्रीमहंत नहीं चुना जाएगा क्योंकि कोरोना महामारी के कारण कार्तिक पूर्णिमा यानी 30 नवंबर काे मेला ही नहीं भरेगा। साधु-महात्माओं के मेले के नाम से पहचाने वाले इस मेले में उनके रहने-खाने, ठहरने और स्नान की व्यवस्था करने के लिए एक साधु को श्रीमहंत चुना जाता है, जो ढाई दिन तक इस पद पर रहता हैं।
शाही स्नान के बाद भगवान दत्रात्रेय की पादुकाओं के सामने हाेने वाली साधु-संताें की मीटिंग में श्रीमहंत चुनने के बाद उसकी गद्दीनशीनी होती है और कपिल सरोवर के आसपास के अखाड़ों और घाटों पर इसी महंत की आज्ञा चलती है। इन अखाड़ों और घाट पर इस अवधि में बड़ा से बड़ा साधु महात्मा भी पहुंच जाए तो उसे श्रीमहंत का आदेश मानना पड़ता है। मेला नहीं भरने के कारण इस बार यह परंपरा टूटेगी। पिछले मेले में मंगल गिरी महाराज काे ढाई दिन का श्रीमहंत चुना गया था।
सिक्ख समाज के लिए भी पवित्र है कपिल सरोवर में स्नान करना
ऐसा नहीं है कि सांख्य प्रणेता महर्षि कपिल मुनि की तपोस्थली कोलायत केवल हिन्दूओं के लिए ही पवित्र है। कपिल सरोवर को सिक्ख समुदाय भी अपने लिए उतना ही पवित्र मानता है। कार्तिक पूर्णिमा को देश के अलग अलग हिस्सों से सिक्ख समुदाय के लोग कोलायत पहुंचते हैं और कपिल सरोवर में स्नान करते हैं। कोलायत के गुरुद्वारे के प्रबंधक गुरुचरणसिंह बताते हैं कि सिक्ख समुदाय के पहले गुरु गुरु नानकदेव का जन्म भी कार्तिक पूर्णिमा को ही हुआ था।
गुरुनानक देवजी ने भी एक बार कपिल सरोवर में स्नान कर इसके जल को पवित्र बताया था। इसके बाद से सिक्ख समुदाय यहां स्नान करने के लिए पहुंचता है। राजस्थान के अलावा पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश सहित विभिन्न प्रदेशों से कार्तिक पूर्णिमा को लोग यहां पहुंचते हैं। सरोवर में स्नान करने के बाद गुरुद्वारे में कीर्तन और पाठ करते हैं। इस दिन शोभायात्रा भी निकाली जाती है लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा।
नहीं होगा मामा-भांजों का मिलन : श्री पंचदशनाम आह्वान अखाड़े के महंत सोमगिरी महाराज बताते हैं कि कपिल सरोवर में भरने वाले मेले को साधु महात्माओं का मेला माना जाता है। देशभर के साधु महात्मा पहुंचते हैं। इसके पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि साधु-सन्यासी कपिल मुनि को अपना आराध्य देव और मामा मानते हैं। यह भी मान्यता है कि कपिल मुनि इस दिन तड़के होने वाले स्नान में वेश बदल कर शामिल होते हैं। इसलिए साधु महात्मा भी कपिल सरोवर में तड़के स्नान करते हैं ताकि वे अपने मामा से मिल सके लेकिन इस बार यह नहीं हो पाएगा।
कार्तिक पूर्णिमा पर प्रदेश में यहां-यहां भरते हैं मेले : कार्तिक पूर्णिमा पर प्रदेश के तीन जिलों में मेले भरते हैं। इनमें सांख्य प्रणेता कपिल मुनि की तपोस्थली कोलायत के अलावा अजमेर के पुष्कर में और झालावाड़ के झालरापाटन में चंद्रभागा नदी के किनारे चंद्रभागा मेला भरता है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2KSvhGn
Comments
Post a Comment
Please do not enter any spam link in the comment box.