कोटा सहित प्रदेश भर में अब सीवरेज लाइनों की मैनुअल सफाई पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है। इसके लिए डीएलबी ने निर्देश जारी किए हैं कि सभी नगर निगम इसके लिए सीवरेज मशीनें खरीदे। जिनके यहां मशीनाें की कमी है वाे प्राइवेट मशीनाें का भी उपयाेग कर सकते हैं। साथ ही प्राइवेट सीवरेज मशीनाें का भी नगर निगम में रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य कर दिया गया है। मशीनाें से ही सफाई करने के लिए अब मैनहाेल का नाम भी बदलकर मशीनहाेल कर दिया गया है।
स्वायत्त शासन विभाग ने 24 नवंबर काे आयाेजित बैठक के बाद सीवरेज टैंकाें की सफाई के संबंध में गाइड लाइन जारी की है। जिसके तहत शहर में सीवरेज की सफाई कार्य करने वाली फर्माें का भी नगर निगम में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। जिन निगम के पास सीवरेज सफाई की मशीनें नहीं हैं, वाे मशीनें खरीदें।
काेटा निगम के पास भी अभी तक सीवरेज सफाई की दाे मशीनें हैं, जिसमें से एक खराब है। अब नई मशीनें खरीदी जा रही हैं। इसके अलावा शहर में कई फर्में सीवरेज टैंक सफाई का कार्य प्राइवेट भी कर रही है। अभी तक उनका किसी प्रकार का रजिस्ट्रेशन नहीं हाेता था। या यूं कहें कि उनका नगर निगम से काेई लेना-देना नहीं था। अब ऐसी फर्माें काे नगर निगम में रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य हाेगा।
डीएलबी के निर्देश-मैन होल को अब मशीन होल कहेंगे
- सीवरेज टैंक में किसी भी कर्मचारी काे नहीं उतारा जाएगा।
- जहां सीवरेज सफाई का काम होगा, वहां सुपरवाइजर की माैजूदगी जरूरी है।
- सीवरेज सफाई वाले स्थान पर बैरिकेडिंग की जाए।
- जिस मशीनहाेल में कार्य किया जा रहा है, उसके आसपास के हाेल काे भी करीब 1 घंटे पहले खाेला जाए ताकि जहरीली गैस बाहर निकल सके।
- फर्म द्वारा जिन कर्मचारियाें से सीवरेज सफाई कार्य करवाया जा रहा है, उन कर्मचारियाें की 10 लाख की बीमा पाॅलिसी करवाई जाए।
- कर्मचारी के स्वास्थ्य की नियमित जांच करवाई जाए। बीपी, डायबिटीज, मिर्गी सहित अन्य गंभीर राेगी से यह कार्य नहीं करवाया जाए।
- फर्म द्वारा की गई लापरवाही में भी नगर निगम की जिम्मेदारी हाेगी।
- सीवरेज सिस्टम की जीपीएस मैपिंग करवाई जाए, ताकि शिकायत मिलने पर सही मशीनहाॅल पर ही कार्य किया जा सके।
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