काेविड राेगी की सीटी सिवयरिटी स्काेर 10 है। श्वांस से लेकर अन्य काेई तकलीफ नहीं। सेचुरेशन भी ठीक आ रहा है लेकिन एहतियात रेमडेसिविर से लेकर अन्य इंजेक्शन लगाने की डाक्टर्स ने हिदायत दे दी है। ऐसे में सिर्फ इंजेक्शन लगवाने के लिए राेगी काे सात से 10 दिन तक हाॅस्पिटल में भर्ती रहने की जरूरत नहीं है। वे दिनभर हाॅस्पिटल में रहकर इलाज लेने के साथ ही शाम काे अपने घर आ सकते हैं।
इसके लिए सरकार ने अब काेविड का उपचार कर रहे प्राइवेट हाॅस्पिटलाें में भी डे-केयर सेंटर खाेलने की मंजूरी दी है। इसके लिए प्राइवेट हाॅस्पिटल डाक्टर फीस, नर्सिंग केयर, बैड चार्ज, पीपीई किट चार्ज आदि मिलाकर दिनभर के 2500 रुपए तक मरीजाें से वसूल सकेंगे। इसके अलावा लगाए जाने वाले इंजेक्शन या दवाइयां सरकार की ओर से तय रेट पर ही देनी हाेगी।
डे-केयर सुविधा कितनी पेशेंट फ्रेंडली है इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है पीबीएम हाॅस्पिटल में खाेले गए ऐसे सेंटर में हर दिन नए एडमिशन या रजिस्ट्रेशन हाे रहे हैं। बीते 24घंटाें में आठ नए रजिस्ट्रेशन के साथ ही इतने कम समय में भी अब तक 105 मरीजाें काे यहां इंजेक्टेबल काेर्स पूरा करने के बाद उनकी फाइल बंद कर दी गई है यानी एक तरह से हाॅस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया है। पीबीएम में हालांकि ड-केयर सेंटर निशुल्क है लेकिन निजी हाॅस्पिटल ऐसी सुविधा देने पर उसका तय शुल्क वसूल सकेंगे।
पाॅजिटिव कम, माैत बरकरार : 80 नए राेगी, दाे की जान गई
काेविड के घटते ग्राफ के बीच जहां पाॅजिटिव राेगियाें की संख्या दिनाेंदिन कम हाे रही है लेकिन गंभीर राेगियाें की संख्या में अब भी खास कमी नहीं आई है। सुपर स्पेशियलिटी ब्लाॅक के आईसीयू सहित पीबीएम हाॅस्पिटल के सभी आईसीयू काेविड या इसके प्रभाव वाली बीमारियाें से जूझते मरीजाें से भरे हैं। रविवार सुबह बीते 24 घंटाें में भी दाे काेविड राेगियाें की माैत हाे गई। इस दाैरान 80 नए पाॅजिटिव रिपाेर्ट हुए।
ऐसे मरीजाें का हाे सकता है डे-केयर सेंटर में इलाज
- जाे ऑक्सीजन पर निर्भर न हाें।
- पल्सरेट, बीपी, ऑक्सीजन सेचुरेशन ज्यादा अब्नाॅर्मल न हाे।
- सीटीरिटी स्काेर गंभीरता के पैमाने से कम है और मरीज के परिजन नियमित घर पर माॅनीटर करने में पूरी तरह समर्थ न हाे।
इन मरीजाें काे काेविड हाॅस्पिटल में भर्ती कर ही इलाज करवाना चाहिए
जिनकी उम्र 65 से ज्यादा हाे, सीटी सीवियरिटी स्काेने 15 से ज्यादा हाे, इसके साथ डायबिटिक, लीवर, किडनी, हाइपरटेंशन, कार्डियाेवस्कुलर, कैंसर जैसी बीमारियां या ऑर्गन ट्रांसप्लांट करवा चुके हाें।
^काेविड हाॅस्पिटल में भर्ती हेाने वाले आधे से ज्यादा राेगियाें में हाॅस्पिटल में घरवालाें से दूर रहने के कारण जाे एंग्जाइटी हाेती है वह इलाज में काफी दिक्कत देती है। ऐसे में डे-केयर पेशेंट फ्रेंडली व्यवस्था हाेने से ऐसी घबराहट से बचा जा सकता है।
डा.परमेन्द्र सिराेही, प्राेफेसर मेडिसिन एवं पीबीएम हाॅस्पिटल सुपरिंटेंडेंट
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