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किसानों की रुचि कम, क्योंकि बाजार में ज्यादा भाव, नतीजा- 11 में से 9 केंद्रों पर एक भी पंजीयन नहीं, दो में सिर्फ 154 पंजीयन

जिले में सरकारी समर्थन मूल्य पर सोयाबीन और उड़द की खरीद रविवार से शुरू होनी है। इसके लिए सहकारिता विभाग ने तो पूरी तैयारी कर ली है, लेकिन किसान इस खरीद में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। यही वजह है कि जिले में 11 खरीद केंद्रों में से सिर्फ दो पर ही पंजीयन हो पाए हैं। ऐसे में इस बार खरीद केंद्रों पर तौल कांटे सूने पड़े रहेंगे। जिले में अकलेरा कृषि मंडी में 153 और झालरापाटन कृषि मंडी में 1 किसान ने पंजीयन करवाया है।

इसके अलावा भवानीमंडी, सुनेल, पिड़ावा, डग, चौमहला, रायपुर, बकानी, खानपुर और मनोहरथाना कृषि मंडियों में एक भी रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया है। सोयाबीन में तो काफी कम पंजीयन हुए हैं। हालांकि चुनिंदा किसानों ने पंजीयन तो करवा लिया, लेकिन खरीद में इनमें से कई किसान हिस्सा नहीं लेंगे।
दरअसल, हर साल सरकारी समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए किसानों के पंजीयनों के लिए कतारें लगने लग जाती थी, लेकिन इस बार ऐसा नहीं दिखाई दे रहा है।

इसका मुख्य कारण सरकारी समर्थन मूल्य से अधिक बाजार दर होना है। इसी का नतीजा है कि किसान सरकारी खरीद में रुचि नहीं ले पा रहे हैं। इधर, सरकारी समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए लगाए जाने वाले तौल कांटों पर ही जिले में लाखों रुपए खर्च होंगे।

यह हैं तीन कारण... जिससे किसान नहीं ले रहे समर्थन मूल्य पर खरीद में रुचि
1. उड़द का बाजार भाव 6700 रु. क्विंटल, समर्थन मूल्य 6000 रुपए

सोयाबीन की बात करें तो इस बार बाजार मूल्य 4400 से 4500 रुपए रुपए प्रति क्विंटल है। जबकि सरकारी समर्थन मूल्य 3880 रुपए तय किया गया है। उड़द का बाजार मूल्य इन दिनों 6200 से 6700 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है, जबकि सरकारी समर्थन मूल्य पर 6000 रुपए प्रति क्विंटल पर ही खरीद हो रही है।
2. उपज पहले आ गई, खरीद पंद्रह दिन बाद शुरू हो रही, इससे रुझान कम
बाजार में सोयाबीन और उड़द की उपज काफी पहले ही आ चुकी है। यदि पंद्रह दिन पहले खरीद शुरू होती तो किसान फिर भी इसमें रुचि ले सकते थे, लेकिन सरकारी समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू करने में देरी पर देरी की गई। इसी का नतीजा है कि किसान अब अधिक रुचि नहीं ले पा रहे हैं।
3. त्योहारी सीजन नजदीक, पेमेंट भी देरी से होता है सरकारी समर्थन मूल्य का
अभी त्योहारी सीजन है और किसानों को पैसों की जरूरत है। ऐसे में सरकारी समर्थन मूल्य के भुगतान में देरी होती है, जबकि बाजार में किसानों को नकद भुगतान मिल जाता है। इसके चलते भी किसान अब समर्थन मूल्य पर खरीद करने से परहेज कर रहे हैं।

झालरापाटन, सरकारी समर्थन मूल्य के तौल कांटे इस बार झालरापाटन कृषि उपजमंडी में सूने पड़े रहेंगे। रविवार से यहां खरीद तो शुरू होगी, लेकिन अभी तक सोयाबीन के लिए एक भी किसान ने पंजीयन नहीं करवाया है, जबकि उड़द की खरीद प्रक्रिया में सिर्फ एक किसान ने रुचि दिखाई है। मंडी में शुक्रवार को करीब 1200 क्विंटल सोयाबीन और 40 क्विंटल उड़द की आवक हुई है। इसमें से सरकारी समर्थन मूल्य में कोई किसान बेचान नहीं करना चाहता है।

सरकारी खरीद रविवार से शुरू हो जाएगी। इस बार समर्थन मूल्य पर 1 ही किसान ने ऑनलाइन पंजीयन करवाया है।
रमेशचंद्र शर्मा, व्यवस्थापक, क्रय-विक्रय समिति झालरापाटन

सरकारी समर्थन मूल्य पर जिले में 154 किसानों ने पंजीयन कराया है। इसमें से 153 किसान अकलेरा और 1 किसान झालरापाटन में पंजीयन करवा पाया है। बाकी की मंडियों में अभी तक एक भी किसान का रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया है।
शिवचरण, इंस्पेक्टर

किसान बोले- कांटे से ज्यादा भाव बाजार में मिल रहा, भुगतान भी जल्द

रायपुर के किसान कन्हैयालाल माली का कहना है कि सरकारी समर्थन मूल्य से अधिक दर पर बाजार में खरीद हो रही है। इससे किसान समर्थन मूल्य की जगह बाजार में बेचना पसंद कर रहे हैं।

किसान प्रमोद का कहना है कि सरकारी समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू होने में काफी देरी हुई है, जबकि कई किसान पहले ही अपनी उपज बेच चुके हैं।

किसान रतनसिंह का कहना है कि सरकार जिस भाव में जिंस खरीद रही है, उससे अधिक बाजार में दाम मिल रहे हैं। सरकार को इससे अधिक दाम बढ़ाकर देना चाहिए था।

किसान राघुसिंह का कहना है कि सरकारी समर्थन मूल्य पर किसानों को भुगतान में भी देरी होती है, जबकि बाजार में तुरंत ही भुगतान मिल जाता है। फिर भी यदि बाजार से अधिक मूल्य होता तो जरूर सरकारी खरीद में हिस्सा लेते।



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Less interest of farmers, because more market price, result - not a single registration in 9 out of 11 centers, only 154 registrations in two


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