प्रदेश में कोरोना महामारी व लॉकडाउन से बिगड़े आर्थिक हालात अब सोलर एनर्जी को बढ़ावा देने से सुधर सकते हैं। प्रदेश में सोलर एनर्जी के लिए अनुकुल माहौल होने से निवेश व रोजगार की अपार संभावनाएं हैं।
एक संस्था की ओर से आयोजित वेबिनार ‘ग्रीन रिकवरी’ में लैप्पीरांता यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी (एलयूटी), इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस (आईईईएफए) और कंज्यूमर यूनिटी एंड ट्रस्ट सोसाइटी (सीयूटीएस) के विशेषज्ञों ने कोविड के बाद बने आर्थिक हालातों पर अपने विचार रखे और आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए सौर ऊर्जा पर ध्यान देने की जरूरत बताई।
कोविड संक्रमण से वित्तीय साल 2020-21 की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था में 24 प्रतिशत की गिरावट हुई है। लोगों की नौकरी और रोजगार खत्म हो गए। ऊर्जा क्षेत्र सहित अन्य उद्योगों में महामारी का बुरा असर पड़ा है। महंगी बिजली, कम मांग और बेतरतीब तरीके से राजस्व वसूली होने से बिजली वितरण कंपनियों पर चढ़े कर्ज में भी बढ़ोत्तरी हुई है।
ऐसे में प्रदेश सोलर एनर्जी को बढ़ावा देकर बिजली क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकता है। एलयूटी की रिपोर्ट के मुताबिक अगर वर्ष 2050 तक उत्तर भारतीय राज्यों में बिजली के मामले में अक्षय ऊर्जा पर 100 फीसद निर्भरता हो जाए तो रोजगार के 50 लाख नए अवसर हो सकते हैं।
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