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2.45 लाख तृतीय श्रेणी शिक्षकों के नहीं हुए तबादले

शिक्षा विभाग में तबादलों के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया चल रही है। तबादलों को लेकर शिक्षक काफी समय से इंतजार कर रहे थे। लेकिन फिर भी शिक्षा विभाग में सबसे अधिक संख्या वाले तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले नहीं किए जा रहे हैं। प्रदेशभर के शिक्षक संगठनों ने अब तक मुख्यमंत्री और शिक्षामंत्री के नाम तबादले करने की मांग को लेकर दर्जनों ज्ञापन दिए हैं।

राज्य सरकार शिक्षकों, पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी के चलते तृतीय श्रेणी शिक्षकों के ट्रांसफर नहीं कर रही है। एक विधानसभा क्षेत्र में गिनती के पद खाली है और उन पर आने के लिए सैकड़ों शिक्षक तैयार बैठे हैं। ऐसे में सरकार और शिक्षामंत्री ने यह तरीका अपनाया है। प्रदेशभर में 65 हजार सरकारी स्कूलें हैं।

शिक्षा विभाग में करीब 4.50 लाख शिक्षकों, लाइब्रेरियन, पीटीआई, प्रयोशाला सहायक, एचएम, प्रधानाचार्य, व्याख्याता, सेकंड व ग्रेड थर्ड शिक्षक के पद स्वीकृत हैं। वर्तमान में इन स्कूलों में करीब पौने चार लाख शिक्षक कार्यरत हैं। इनमें सबसे अधिक संख्या तृतीय श्रेणी शिक्षकों की ही है। जबकि तृतीय श्रेणी शिक्षकों एल-1 व एल-2 के करीब तीन लाख पद स्वीकृत हैं जिनमें से करीब 2.45 लाख शिक्षक वर्तमान में विद्यालयों में कार्यरत हैं इनमें प्रबोधक भी शामिल हैं।

इनको भी राहत नहीं : राज्य सरकार की ओर से गंभीर बीमारी से ग्रस्त शिक्षकों, पति-पत्नी को एक ही जिले में या गृह जिले में पोस्टिंग देनी चाहिए। लेकिन जिसकी अप्रौच नहीं है वह वर्षों से दूरस्थ जिलों में कार्यरत है। डार्क जोन में कार्यरत तृतीय श्रेणी शिक्षकों काे पांच साल उसी जिले में नौकरी करनी होती है। कई शिक्षक ऐसे हैं जिन्हें 15 साल से भी अधिक समय हो गया लेकिन उनका तबादला नहीं किया।

डेपुटेशन पर बैठे शिक्षक : शिक्षा विभाग में एचएम, प्रधानाचार्य, व्याख्याता, सेकंड ग्रेड और ग्रेड थर्ड शिक्षक अप्रोच के चलते निदेशालय, सीबीईओ कार्यालयों में डेपुटेशन पर लगे हुए हैं। वहीं बहुत से ग्रेड थर्ड शिक्षक जिले में अपने नजकीक वाले स्कूलों में लगे हुए हैं। इन्हें तय समयावधि के बाद भी नहीं हटाया जा रहा है।

तबादला नीति तैयार, लेकिन लागू नहीं कर रही सरकार
तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले 2018 के बाद नहीं किए गए हैं। ऐसे में शिक्षक सरकार से तबादले कि आस लगाए बैठे थे लेकिन उनके हितों पर लगातार कुठाराघात किया जा रहा है। राज्य सरकार ने ट्रांसफर पॉलिसी भी तैयार कर ली है लेकिन राज्य सरकार इसे अभी तक लागू नहीं कर रही है।

सरकार चाहे तो कैबिनेट बैठक में पास कर इसे लागू कर सकती है लेकिन यह पॉलिसी कम जारी करेंगे इसको लेकर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है। शिक्षकों ने बताया कि 1998 तक तबादलों में कुछ नियम तय थे लेकिन कोई ट्रांसफर पॉलिसी आज तक लागू नहीं की गई है।



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