नेशनल हाइवे पर शिशोद से मोतली मोड़ के बीच अब हालात सुधरते नजर आ रहे हैं। रविवार को हाइवे पर किसी तरह की पथराव की कोई घटना सामने नहीं आई। हाइवे पर पूरी तरह से सन्नाटा पसरा नजर आया। चौथे दिन दोपहर तक हाइवे बहाल नहीं हो सका, सोमवार से हाइवे पूरी तरह से बहाल हो जाएगा। इसके लिए प्रशासन व जनप्रतिनिधियों ने बातचीत कर स्थिति को क्लियर कर दिया है। वहीं रविवार तड़के तीन बजे रणसागर तालाब के पास उपद्रवियों ने आयशर ट्रक को आग के हवाले कर दिया।
इसमें आरसीसी निर्माण में काम आने वाले लकड़ी की बल्लियां भरी हुई थी। इसके बाद चालक को मौके से भागना पड़ा। सुबह तक यहां पर पथराव करने से स्थिति तनाव पूर्ण रही। पुलिस को उपद्रवियों को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े।
रबड़ की गोलियां दागी।
दूसरी ओर चैंबर ऑफ काॅमर्स की ओर से रविवार काे सुबह 11 बजे कलेक्टर काे ज्ञापन साैंपकर व्यापारियों के नुकसान की भरपाई और सुरक्षा दिलाने की मांग रखी। महामंत्री प्रभुलाल पटेल ने बताया कि पिछले तीन दिन से उप्रदवी लूटपाट और आगजनी कर रहे हैं। जिससे व्यापारियों काे कराेड़ाें काे नुकसान हुआ है। इसके कारण साेमवार काे चैंबर ऑफ काॅमर्स के साथ मूल अधिकार रक्षा मंच की ओर से डूंगरपुर बंद का आह्वान किया है।
आगामी दिनाें से परिस्थितियाें में सुधार नहीं हाेने पर अनिश्चितकालीन बंद की चेतावनी दी। साथी ही व्यापारियों काे सुरक्षा के साथ ही मुआवजा दिलाने की मांग रखी। इधर, सदर पुलिस थाने ने रविवार को सड़क पर उपद्रव करने, पथराव करने व आगजनी करने पर 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
इसमें डाबेला निवासी धनजी पुत्र भावजी डामोर, पगारा निवासी अशोक पुत्र शांतिलाल मसानिया निवासी चिलर पुत्र दिनेशचंद्र परमार, हथाई फला गंगनाला निवासी विक्रम पुत्र अमरा अहारी, सुलई खेरवाड़ा निवासी सुरेश पुत्र अर्जुन अहारी, पगारा फला हागड़ा निवासी मणीलाल पुत्र बापुलाल परमार, सुलई पगारा रोडा फलाअ निवासी सुरेश पुत्र कालूराम परमार, सुलई पगारा फला भागेला निवासी भुपेंद्र पुत्र शेवाजी परमार, सुलई फला नीचली निवासी बंशीलाल पिता हाजालाल, बटिकड़ा निवासी परेश उर्फ प्रिंस पुत्र हीरा ननोमा शामिल है। एसपी जय यादव ने बताया कि अब तक 18 मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं। प्रदर्शनकारियों ने अपना स्थान बदल कर कंजडी घाटी कर दिया।
यहां पर प्रदर्शन कारी डूंगरी पर चढ़ गए। यहां पर आने जाने वाले लोगों पर पथराव कर रहे हैं। पुलिस ने यहां पर मोर्चा संभालते हुए उनको खदेड़ा। उपद्रवियों को खदेड़ा। इसके बाद शाम होते होते उपद्रवी फिर से रणसागर तालाब के पास उपद्रव करने लगे तो पुलिस ने फिर से दौड़ाया। यहां पर बांसवाड़ा की क्यूआरटी टीम नियंत्रित करने तैनात है। अभी स्थिति पूरी तरह से नियंत्रित होकर आवागमन बहाल है।
बाइक सवारों ने सब्जी वालों ओर दुकानदारों को धमकाया, बंद किया बाजार तो पुलिस ने खुलवाया : देवल. कस्बे से 9 किमी दूर मोतली मोड़ पर पर तनाव वाली स्थिति बनी हुई है। रविवार को तीन बाइक पर सवार होकर आए उपद्रवी युवकों ने देवल बस स्टैंड पर सब्जी बेच रहे लोगो को ठेला बंद करने और घर चले जाने की धमकी दी। खुली हुई दुकानों के दुकानदारों को धमकी देते हुए कहा कि दुकानें बंद कर दो नहीं तो आग लगा देंगे।
जैसे ही यह घटना क्रम हुआ लोगों मे डर व्याप्त हो गया। दुकाने बंद हो गई। लोग बस स्टैंड पर इकट्ठे हो गए और पुलिस चौकी पर सूचना मिलते प्रभारी गिरीराज सिंह मय जाब्ता के पहुंचे। लोगों को आश्वस्त किया।
सागवाड़ा क्षेत्र में उपद्रव शुरू होने की अफवाहों के कारण लोग परेशान रहे : सागवाड़ा। नगर और आसपास के गांवों में रविवार को उपद्रव शुरू होने की अफवाहों के कारण लोग दिनभर परेशान रहे। कभी डूंगरपुर मैन रोड़ पर मड़कोला बसस्टेंड के पास तो कभी टामटिया में और कभी खड़गदा के पास उपद्रवियों के इकट्ठा होने और रोड़ जाम करने की अफवाहें आई। अनारक्षित वर्ग की 1167 सीटों को लेकर उदयपुर- अहमदाबाद नेशनल हाईवे पर उपद्रव और जाम के बाद सागवाड़ा उपखंड क्षेत्र में भी उपद्रवियों के सक्रिय होने की अफवाहें पूरा दिन चली, लेकिन पुलिस और प्रशासन की बराबर माॅनीटरिंग रही।
एसडीएम राजीव द्विवेदी और नायब तहसीलदार मयूर शर्मा ने पूरे क्षेत्र का दौरा किया। एहतियात के तौर पर सागवाड़ा क्षेत्र में दिनभर पुलिस की गश्त भी लगी रही। पुराना बस स्टैंड गोल चौराहा और कोर्ट परिसर के आसपास पुलिस के जवान तैनात रहे। रविवार को सागवाड़ा नगर का बाजार वैसे तो बंद रहता है, फिर भी लोगों की आवाजाही बनी रहती है।
राजस्थान के डूंगरपुर जिले में स्थित नेशनल हाइवे पर चौथे दिन प्रदर्शन व उपद्रव सिमटता नजर आया। हाइवे पर सन्नाटा पसरा नजर आया। दैनिक भास्कर डूंगरपुर की टीम अहमदाबाद-उदयपुर हाइवे पर स्थित श्रीनाथ कॉलोनी में पहुंची। जहां शनिवार रात प्रदर्शनकारियों ने जमकर तोड़फोड़ की। इस दौरान पुलिस जाप्ता कॉलोनी की छत से हथियारों से लैस होकर निगरानी करता नजर आया। बाहर की कुछ दुकान को रात के समय जलाया गया।
लोगों का कहना था हमला करते देखकर ऐसा लगा कि यह आखिर क्या हो रहा है यहां, आखिर कब तक होता रहेगा। कॉलोनी वासियों में खौफ इतना था कि महिला और बच्चों के घर से बाहर ही नहीं निकलने दिया। हथियारबंद पुलिस बल को पहले ही तैनात कर दिया गया था।
दरअसल, प्रदर्शन के नाम पर शनिवार देर रात श्रीनाथ कॉलोनी में जमकर तोड़फोड़ की गई। गेट पर बनी दुकानों में आग लगा दी गई। कॉलोनी के अंदर फॉर व्हीलर व बाइक को आग के हवाले कर दिया। यह पथराव करते हुए आगे बढ़े। कॉलोनी के गेट के शीशे फोड़ दिए। कॉलोनी में रहने वाले युवक दिनेश ने बताया कि प्रदर्शनकारी खेरवाड़ा चले गए थे। वहां से वापस आते हुए रात में उन्होंने लूटपाट की। उपद्रवियों ने कॉलोनी की सभी दुकानों को लूट लिया।
इसके बाद आग लगा दी। फिर सोसाइटी में घुस आए। घरों के कांच तोड़ दिए। गाड़ियां जला दी। आधे घंटे बाद पुलिस पहुंची। सोसायटी वालों ने ही हिम्मत करके इन्हें भगाया। पुलिस आने के बाद लोगों को तसल्ली मिली।
दिनेश ने बताया कि फिलहाल तो हम सुरक्षित महसूस कर रहे हैं, लेकिन हमारा भविष्य पूरी तरह अंधेरे में लग रहा है। कॉलोनी को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया गया है। सभी घरों के कांच तोड़ दिए गए। पौने घंटे तक यहां पर तांडव मचाया, इनके हाथों में पत्थर थे।कुछ उपद्रवी बाहर खड़े थे।
15 से 25 साल के बच्चे थे प्रदर्शनकारी : कॉलोनी के लोगों ने बताया कि उपद्रवियों ने कॉलोनी में गुंडई की। अगर महिलाएं घर के अंदर नहीं होती तो पता नहीं ये क्या करते। करीब 45 मिनट तक आतंक मचाते रहे। करीब 50 से 60 लोग कॉलोनी में घुसे थे। इसके साथ ही बाहर खड़े लोग भी इन्हें सपोर्ट कर रहे थे। उपद्रवियों में 16 साल से 25 साल तक के युवक लग रहे थे। काफी नुकसान पहुंचा दिया है। कुछ समझ नहीं पा रहे हैं।
पहली बार चार आईएएस अफसरों को दी तैनाती
बीटीपी के बढ़ते राजनीतिक प्रभाव को साधने के लिए टीएडी पर फोकस
दक्षिणी राजस्थान के जनजाति इलाके में भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के बढ़ते राजनीतिक दबाव के बीच राज्य सरकार ने टीएडी विभाग में पहली बार 4 आईएएस अफसरों की तैनाती कर दी है। अब तय यह विभाग ज्यादातर समय अतिरिक्त चार्ज के भरोसे ही चलता आया है। लेकिन अब वरिष्ठ आईएएस अधिकारी राजेश्वर सिंह को विभाग की पूर्णकालिक जिम्मेदारी दी गई है। पहले डेढ़ साल तक प्रमुख सचिव अखिल अरोड़ा के पास सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के साथ टीएडी का चार्ज रहा। उसके बाद कुछ समय के लिए आईएएस गायत्री राठौड़ को अतिरिक्त प्रभार के रूप में यह जिम्मा दिया गया।
पूर्णकालिक अधिकारी लगाने का असर भी नजर आया। एसीएस राजेश्वर सिंह ने पद संभालते ही प्रशासनिक सेवाओं की प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए ‘टीएडी सुपर-30’ प्रोजेक्ट शुरू किया। इनके अलावा विभाग की स्कूलों और हॉस्टलों में अधिकारियों को गार्जियन बनाने, प्रबंधन समितियों का गठन और सुपोषण वाटिकाएं बनाने जैसे कई काम भी शुरू कर दिए हैं। इनके अलावा आदिवासी इलाके प्रतापगढ़ में डेढ़ साल तक कलक्टर रहीं नेहा गिरि को जॉइंट सेक्रेटरी लगाया। उन पर विभागीय योजनाओं की प्लानिंग का जिम्मा है।
टीएडी आयुक्त पद पर अलग अधिकारी नियुक्त
सामान्य रूप से टीएडी विभाग के आयुक्त का दायित्व उदयपुर संभागीय आयुक्त के पास ही रहता आया है। संभागीय आयुक्त के पास पूरे संभाग के प्रशासनिक कार्यों का भार होता है जिससे वह टीएडी योजनाओं की क्रियान्विति पर विशेष ध्यान नहीं दे पाते थे। इसका परिणाम यह होता था कि विभागीय बजट पूरा खर्च नहीं हो पाता और आदिवासियों के कल्याण के लिए चलाई जा रही योजनाओं का पूरा लाभ उन्हें नहीं मिल पाता है।
इसलिए टीएडी आयुक्त के पद पर अलग से आईएएस अधिकारी को नियुक्त करने की मांग उठती रहती थी। विधानसभा में भी यह मामला कई बार उठाया गया। इसलिए सरकार ने टीएडी आयुक्त के पद पर अलग से अधिकारी की नियुक्ति की। 2006 बैच के आईएएस अधिकारी डॉ. जितेंद्र कुमार उपाध्याय टीएडी आयुक्त व 2015 बैच की आईएएस अधिकारी अंजली राजोरिया अतिरिक्त आयुक्त लगी हुई हैं।
उपद्रव सरकार की संवेदनहीनता का नतीजा, समय पर संवाद नहीं: मीणा
राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने जिला कलेक्टर पर साधा निशाना, सस्पेंड करने की मांग
टीएसपी क्षेत्र में शिक्षक भर्ती- 2018 के 1167 खाली पदों को एसटी अभ्यर्थियों से भरने की मांग पर हुए आंदोलन को राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने सरकार की संवेदनहीनता का नतीजा बताया है।
मीणा ने कहा कि यदि समय पर इन अभ्यर्थियों से संवाद स्थापित किया जाता तो आज आंदोलन हिंसक रूप नहीं लेता। मीणा ने आदिवासी क्षेत्र के लोगों को अति पिछड़ा बताते हुए प्रशासनिक सेवाओं में भी इनका प्रतिनिधित्व बढ़ाए जाने पर जोर दिया।
मीणा के अनुसार यदि मौजूदा भर्ती में खाली रहे पदों को अनुसूचित जाति के अभ्यर्थियों से भरे जाने में संवैधानिक अड़चन है तो फिर सरकार को चाहिए कि इस क्षेत्र के लिए वापस इतने ही पदों की भर्ती निकालकर उसे विशेष रूप से अनुसूचित जाति से आने वाले अभ्यर्थियों से भरे। मीणा ने कहा कि यदि भाजपा मुझे आदेश देगी तो मैं जरूर डूंगरपुर जाऊंगा।
कलेक्टर का बयान गैर जिम्मेदाराना: किरोड़ी लाल मीणा ने यह भी कहा कि जिस क्षेत्र में दंगा और उपद्रव भड़का वहां के कलेक्टर अब ये बयान देते हैं कि झारखंड, छत्तीसगढ़, दौसा और सवाई माधोपुर के कुछ लोग आकर इन्हें भड़का रहे हैं। मीणा ने कहा कि कलेक्टर का यह बयान गैर जिम्मेदाराना है. क्योंकि, यदि कोई लोग आकर भड़का रहे थे तो कलेक्टर साहब और अधिकारी क्या सो रहे थे। उनका खुफिया विभाग क्या कर रहा था। यह प्रशासन के अधिकारियों की विफलता बताता है। मीणा ने गैर जिम्मेदाराना बयान देने वाले कलेक्टर को सस्पेंड करने की मांग भी सरकार से की।.
कांकरी डूंगरी छोड़कर उदयपुर-अहमदाबाद हाइवे पर उपद्रव, 11 पुलिसकर्मी घायल
24 सितंबर: शाम 4 बजे बाद उपद्रवियों ने उदयपुर-अहमदाबाद नेशनल हाइवे पर 5 किमी तक पत्थर डाल कर कब्जा कर लिया। पुलिस-राहगीरों पर पथराव किया और एसपी की कार सहित पांच सरकारी वाहन फूंक डाले। पत्थरबाजी में एएसपी, डीएसपी, थानेदार व 11 पुलिसकर्मी घायल हाे गए। देररात आईजी बिनीता ठाकुर भी नेशनल हाईवे पर पहुंची। पथराव में बिछीवाड़ा थानाधिकारी इंद्रजीत परमार की गंभीर हालत में उन्हें रैफर करना पड़ा। प्रदर्शनकारियों ने हाईवे से गुजरने वाले वाहनों के कांच फोड़ दिए। एएसपी गणपति महावर गंभीर रूप से घायल हाे गए, उन्होंने ट्रक के पीछे 15 किमी तक लटककर जान बचाई। इस बीच सीएम से डूंगरपुर विवाद में बात होनी थी, लेकिन आंदोलन इतना बढ़ गया कि सीएम ने पहले माहौल शांत करने की बात कही।
पेट्रोल पंप, हाेटल, मकान और दुकानों में ताेड़फाेड़ की, जो उपद्रवियों के हाथ लगा लूट लिया
25 सितंबर: उपद्रवियों ने हाईवे का करीब 10 किमी क्षेत्र कब्जे में ले लिया। उन्हें राेकने के लिए 500 जवान तैनात किए। उपद्रवियों ने पेट्रोल पंप, हाेटल, मकान, दुकानों में ताेड़फाेड़ की। पंप से चुराए डीजल से 25 से ज्यादा वाहन जलाए और जाे भी हाथ लगा लूट कर ले गए। प्रशासन ने डूंगरपुर और बांसवाड़ा में इंटरनेट सुविधा बंद कर दी। उपद्रवियों की खेरवाड़ा में घुसने की काेशिश पर पुलिस से मुठभेड़ चली। पुलिस ने रबर की गाेलियां चलाकर काबू पाया। देररात तक पहाड़ियाें से गाेफण के जरिए पुलिस पर पत्थर फेंकते रहे। दूसरे दिन तक करीब 35 पुलिसकर्मी घायल हाे चुके थे। वहीं पुलिस ने 31 लाेगाें काे हिरासत में लिया था। सीएम ने साेशल मीडिया के जरिए उपद्रवियों से शांति बनाए रखने की अपील की।
खेरवाड़ा को उपद्रवियों ने घेरा, वाहन, होटल और मकान फूंके, फायरिंग में युवक की मौत
26 सितंबर: रात होते-होते उपद्रवियों ने खेरवाड़ा को भी पूरी तरह घेर लिया। एक टोल प्लाजा को जलाने का प्रयास किया। कई होटल व दुकानों में तोड़फोड़, आगजनी व लूटपाट की। कई बाइकों को जला दिया। उदयपुर-अहमदाबाद हाईवे पर उपद्रवियों ने 20 किमी में पत्थर बिछा दिए। इसी बीच, दो बार झड़प के बाद पुलिस जाब्ते को भी जान बचाकर भागना पड़ा। पुलिस ने 3 राउंड फायर किए। इसमें खेरवाड़ा के काचराफला घाटा के तरुण अहारी (19) की गाेली लगने से माैत हाे गई। पाेगराफला खेरवाड़ा का अल्पेश (15) घायल हाे गया। उपद्रव के बाद डूंगरपुर के अलावा बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, ऋषभदेव और उदयपुर जिले में धारा-144 लगा कर इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई। मामले ने राजनीतिक तुल पकड़ा।
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